"भाषा बदलो, और आप के विचार बदल जाएंगे।"
कार्ल अल्ब्रेक्ट

बीरेल्लि शेषि, एम.डी.

दान आवेदन

बहुभाषीयता: कई भाषाओं के समवर्ती शिक्षण के लिए प्रस्ताव

प्रिय भावी दाता:

मैं कई भाषाओँ के समवर्ती या समकालीन शिक्षण की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए अनुदान का प्रार्थी हूँ।

"बहुभाषीयता" एक नया बहुभाषीय या बहुभाषी शिक्षण प्रस्ताव है जो कई भाषाओँ के समकालीन अध्ययन को सक्षम बनाता है।
इस मामले में, यह प्रस्ताव पाँच भाषाओं के समकालीन अध्ययन पर केन्द्रित है।
उसे तीन भारतीय भाषाओं (हिंदी, उर्दू और संस्कृत), एक अंतरराष्ट्रीय भाषा (अंग्रेज़ी), और एक देशी भाषा (तेलुगु) पर लागू किया गया है।
सभी भाषाएँ प्रथम श्रेणी (ग्रेड या मानक) से शुरू होती है।
(शब्दावली के सन्दर्भ में "श्रेणी," "ग्रेड," और "मानक" समानार्थी ढंग से उपयोगित हैं।)
कोई और देशी भाषा तेलुगु की जगह ले सकती हैं।
यह प्रस्ताव भारत की विशिष्ट स्थिति से निकला है।

इस प्रस्ताव के दो अनोखे भाग हैं:

क) उद्देश्य – पाँच भाषाएँ सिखाना / सीखना,
ख) पद्धति – इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए।

भाषाओं की संख्या २, ३, या ४ नहीं – किन्तु ५ हैं।
यह संख्या भारत के राष्ट्रीय एकीकरण और उसकी भाषाई समानता के प्राप्ति की इच्छा से उत्पन्न हुई हैं।

यह निर्धारित किया जाना बाकी है कि कौनसी पद्धति अधिक प्रभावशील है, प्रस्तावित "समवर्ती /
इस निर्धारण को संपादित करने के लिए एक नैदानिक परीक्षण जैसी पतिस्थिति की आवश्यकता है जिस में अन्वेषक नए आचरण की कुशलता और क्षमता का उसके परिक्षण के दौरान मूल्यांकन करेंगे।

इस अवधारणा को ३० आसानी से बोधगम्य प्रश्न और उत्तर के द्वारा वर्णित किया गया है।
किसी भी दिए गए दस्तावेज़ के पृथक, वाक्य-दर-वाक्य, पाँच-वाक्य-दर-पाँच-वाक्य, और शब्द-दर-शब्द अनुवादों को प्रदान करते हुए पद्धति के द्वारा प्राप्त समकालीन / समवर्ती अध्ययन की सुगमता को दर्शाया गया है।
आशा की जाती हैं कि यह प्रारूप आप को यहाँ उल्लेखित जालपत्र पर जाकर प्रस्ताव का मूल्यांकन करने के लिए ढाँचा प्रदान करेगा।

indian.multilanguaging.org

जैसे के आप इस सम्बंधित जालपत्र पर जाकर खुद तय कर सकते हैं, यह पद्धति एक सामान्य पतिस्थिति में और दुनिया की सभी भाषाओं पर लागू होती है।

european.multilanguaging.org

यह पूरक जालपत्र सात यूरोपीय भाषाओं: अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रांसीसी, स्पेनिश, इत्लावी, लैटिन और यूनानी को एक साथ या उनमें से कुछ को समवर्ती रूप से सिखाने / सीखने के लिए बहुभाषीय पद्धति की संभावित उपयुक्तता को जांचती हैं।
इस अवधारणा को किसी भी भाषा-मिश्रण या किसी भी देश की भाषाओँ तक विस्तारित किया जा सकता है।
विश्व के कई देश आधिकारिक या ग़ैर आधिकारिक रूप से द्विभाषिक या बहुभाषिक हैं।
हर ऐसा देश या क्षेत्र पूर्वानुमेय ढंग से कुछ हद तक अपनी भाषाई विसम्मति से प्रभावित है।
विश्व के किसी भी देश या क्षेत्र में भाषाओं के वांछित या आवश्यक मिश्रण को सिखाने के लिए बहुभाषीय पद्धति संभावित रूप से कारगर साबित हो सकती हैं।

एकल भाषाएँ या उनकी वर्णमालाएं सीखने के लिए विपुल पद्धतियाँ मौजूद हैं।
तथापि, मेरी जानकारी के अनुसार ऐसी कोई पद्धति मौजूद नहीं हैं जो, उदाहरणार्थ, पाँच या सात भाषाएँ सह्सम्बन्धी और एकीकृत रूप से सिखाती हो।
यह मेरी मान्यता हैं कि सम्बन्धपरक अध्ययन शिक्षार्थियों को नया वैचारिक कौशल-संग्रह / शक्ति और आनंद प्रदान करता है, चाहे वे बच्चे हो या बड़े।
मेरी समझ के अनुसार, कई भाषाएँ समकालीन रूप से सिखाने / सीखने का यह नया प्रस्ताव प्राकृतिक, क्षेत्रिक, और संभावित प्रभाव की क्षमता में परिवर्तनकारी है।
अपेक्षा की जाती हैं कि भाषा-शिक्षण के लिए यह एक नए शैक्षिक प्रतिमान या व्यवहार का उत्पादन करेगा।

मैं संक्षेप में मेरी व्यक्तित्व और पेशेवर पृष्ठभूमि पेश करता हूँ जिसका विस्तार में उल्लेख indian.multilanguaging.org पर "जीवन-चरित्र" में प्रदत्त है।
मैं एक भूतपूर्व अकादमिक चिकित्सक हूँ जिसने विकृति विज्ञान में डाक्टरी की है और चिकित्सीय शिक्षक और बायोमेडिकल जांचकर्ता के रूप में काम किया है।
मैं हैदराबाद में स्थित ओस्मानिया मेडिकल कॉलेज का स्नातक हूँ जहाँ मुझे चिकित्सा में विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। इसके बाद मैं ने बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान में जीव रसायन के अनुसंधान विद्यार्थी के रूप में तीन साल बिताएं जिसके पश्चात् मैं अमेरीका जाकर येल विश्वविद्यालय में विकृति विज्ञान में अपना कार्यकाल पूरा किया।
मैं ने न्यू यॉर्क में रोचेस्टर विश्वविद्यालय, साउथ फ्लोरिडा विश्वविद्यालय (यू.एस.एफ़) और कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, लोस अन्जेलीस (यू.सी.एल.ए) में प्राध्यापक के रूप में कार्य किया।
मैं स्टेम-सेल जीवविज्ञान और प्रोटिओमिक्स के क्षेत्र में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ द्वारा वित्त पोषित मुख्य जाँचकर्ता था।

मेरा अनुरोध हैं कि आप पाठक मैत्रीपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर का सर्वेक्षण करें।
वे आपको इस परियोजना के पीछे की समर्थक शक्तियां पर अंतर्दृष्‍टि प्रदान करते हैं।
मुझे हमेशा से हमारे विविधतापूर्ण समाज में योगदान करने की अभिलाषा रही हैं।
कदाचित आप पूछेंगे क्यों मैं अपना पेशा चिकित्सा / जीवविज्ञान से भाषा-शिक्षण की पद्धतियों की छानबीन में बदल रहा हूँ।
भाषाओं में मेरा उत्साह मेरे उच्च विद्यालय के दिनों से ही रहा है और मैंने इस उत्साह को हमेशा विकसित करने का काम किया है।
बाहर से इस क्षेत्र में मेरा प्रवेश और मेरी विविधतापूर्ण पृष्ठभूमि मुझे इस भाषाई परियोजना में नई शक्ति डालने में मदद करती हैं और यह बात मुझे नव परिवर्तन करने की अनुमति देती हैं।

वर्तमान प्रस्ताव पाठ चुनने और पूरक सामग्रियां बनाने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करता है।
प्रस्ताव के अनेक पहलुओं और सम्बंधित विषयों को पाठक मैत्रीपूर्ण "प्रश्नोत्तर" प्रारूप में व्याखित किया गया है।
वे इस प्रस्ताव की एक सर्वसमावेशी समीक्षा प्रदान करते हैं।
जालपत्र पर ये दस्तावेज़ पाँचों भाषाओं – अंग्रेज़ी, तेलुगु, हिंदी, उर्दू और संस्कृत – में रखे गए हैं ताकि उन्हें इन में से किसी भी भाषा बोलने वाले पाठक समझ सकें।
आगे बढ़ते हुए, पाँच भाषाओँ के समवर्ती शिक्षण में प्री-स्कूल के बच्चों को वर्णमाला सिखाने के लिए और पहली से दसवी कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ तैयार करने के लिए उपयुक्त पाठ्यपुस्तकों और उपकरणों बनाने की आवश्यकता हैं।

इस प्रस्ताव की कल्पना वैज्ञानिक जांच की भावना से की गई है।
प्रस्ताव की प्रभावशीलता की जांच और निर्धारण किया जाना बाकी है।
भले जांच के लिए ही ठीक लेकिन सब से पहले उपयुक्त पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने की आवश्यकता हैं।
इसके प्राप्ति के लिए बाहरी अनुदान निधि सहायता की आवश्यकता है।

मुझे इस परियोजना को अगले स्तर तक पहुँचाने के लिए आपकी मदद और सहायता की ज़रुरत हैं।
आप के मौद्रिक योगदान को कृतज्ञतापूर्वक सम्मानित किया जाएगा।
आप का अग्रिम रूप से धन्यवाद।

सादर भवदीय,

बीरेल्लि शेषि, एम.डी.
BSeshi@multilanguaging.org
BSeshi@outlook.com



डॉ. शेषि का बहुभाषीय अंतररार्ष्ट्रीय केंद्र और विद्यापीठ इंक एक यूएस कर-मुक्त 501 (सी) 3 गैर-लाभकारी संगठन है (कर आईडी संख्या ८५-०९३२७६२)।
सभी दान कानून द्वारा अनुमेय के रूप में कर कटौती योग्य हैं।